अपने को वैश्य कहना छोड़िए।
गांधी जी ने हरिजन शब्द से शूद्र शब्द को समाज से लगभग मिटा ही दिया है। समय था जब समाज शूद्र शब्द से घृणा करता था। अब इस शब्द को केवल पढ़े लिखे लोग जानते हैं ,आम आदमी नहीं जानता। इसका कारण है किताबों में लिखा होना। किताबों/ग्रंथों में लिखा शब्द , चातुर्य वर्ण फिर प्रकट हो सकता है,यदि कट्टर ब्राह्मण राज्य फिर से स्थापित हो जाए।
"लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पायी है।"
चातुर्य वर्ण फिर नहीं,दुबारा नहीं ।
वैसे सुंडी कबीला जातीय ब्राह्मण वंशज हैं।
सुंडी , जरत्कारु (जोगिया गोसाईं, जनजातीय तांत्रिक) एवं माता मनसा(नाग वंशी ,घर का टोटेमिक चिन्ह ,कुल पूजन,सिरा पिंडा,) के पुत्र आस्तिक मुनि के वंशज हैं। अर्थात नागवंशी हैं। ब्राह्मणों ने नागों का अस्तित्व मिटाने के लिए राजा जनमेजय को उसकाया। बचें हुए नागों को दास बनाया। सामाजिक रुप से बहिष्कृत किया।जानते हैं इसका कारण ?? अधिकांश नाग क्षत्रिय थे, परशुराम जी के दादा जी ऋचिक मुनि(रिक् वेद ,दशम मंडल)ने चातुर्य वर्ण का सिद्धांत दिया था। नागों ने चातुर्य वर्ण का विरोध किया था। नंदनि गौ एक बहाना था। कार्तवीर्यार्जुन ने परशुराम जी के पिता जमदग्नि ऋषि को मार डाला।तब से परशुराम जी ने 21बार क्षत्रियों को रहित कर दिया था। क्यों???
एक सिद्धांत के लिए बस!!!और हम उनके सिद्धांतों को मानने में गर्व महसूस करते हैं।
आप महसूस कीजिए कि वैश्य शब्द वैश्या शब्द के कितना करीब है।
अपने आपको वैश्य कहना छोड़िए। (अगर कोई गलती हो तो क्षमा करेंगे।)
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